फासला अब भी है दो कदमों का ही है
कदम को बढ़ाये तय ये नहीं है
वो कहते हैं बता तेरा दर्द कैसे समझूँ ऐ सनम,
मैंने कहा इश्क़ कर बहुत कर और करके हार जा।
अपना ख्याल रखा करो मेरे लिए,
बेशक़ सांसे तुम्हारी चलती है लेकिन तुम में जान तो हमारी बस्ती है.
ना मेरा दिल बुरा था, ना उसमे कोई बुराई थी,
सब नसीब का खेल है, बस किस्मत में जुदाई थी !!
"नासमज ही रहते तो अच्छा था,
उलझने बढ़ गयी हैं, जब से समजदार हुए हैं..!"
वो मेरी तन्हाइयों का हिसाब क्या देगी,
जो खुद ही सवाल है वो जवाब क्या देगी।
मुफ़्त *में नहीं सीखा *Udasi में मुस्कराने का हुनर।
बदले में Zindagi की हर *ख़ुशी तबाह कर दी।
अब कोई दर्द दर्द नहीं लगता
तेरे दिये हुए दर्द तो कमाल कर गए
मुझे बहुत प्यारी है, तुम्हारी दी हुई हर एक निशानी,
चाहे वो मेरे दिल का दर्द हो या मेरी आँखों का पानी।
जब सीना ग़म से भोजल हो और याद किसी की आती हो..
तब कमरे में बंद हो जाना और चुपके चुपके रो लेना..|
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